कई बार हमको सुन ने में आता है की अमुक व्यक्ति को भूत लग गए ,माता आ गयी ,जींद बेताल वगेरह आ गए .और सद्दक पर भी हम देखते हैं बहुत से तम्बू लगे रहते हैं भूत उतारने वालों के .
कुंडली द्वारा ये ज्ञात करा जा सकता है की व्यक्ति इस प्रकार की दिक्कतों का सामना करेगा या नहीं .
प्रस्तुत कुंडली में देखिये ...चन्द्रमा नीच का हो गया है और सूर्य के साथ है .अमावस्या का जन्म है .
सभी सौम्य ग्रह रहू केतु के मध्य में हैं .लग्न पर केतु की दृष्टि है .भाग्य स्थान को राहू देख रहा है .
यह जातक एक प्रसिद्द लेखक के परिवार से सम्बन्ध रखता है .इसको हमेशा यह लगता रहता है की इसके घर में कोई भूत बाधा है .और प्रेत का श्राप है .गुरु उछ का होकर भी निष्फल है क्योंकि लग्न और भाग्य स्थान दोनों पर राहू केतु की दृष्टि है .चन्द्रमा पर उच्च के गुरु की दृष्टि के कारन ये बहुत ही धार्मिक और पूजा पाठी तो है लेकिन अत्यंत अन्द्विश्वासी भी है .
यदि लग्न ,चन्द्रमा भाग्य भाव की स्थिति अच्छी न हो तो व्यक्ति हमेशा शक करता रहता है ,उसको लगता रहता है की कोई ऊपरी शक्तियां उसका विनाश करने में लगी हुई हैं .और कोई भी इलाज से उसको कभी फायदा नहीं होता .इस जातक से बहुत से बाबा ओझा तांत्रिक बहुत धन ऐंठ चुके है अब तक लेकिन कोई फर्क नहीं है .
भूत प्रेत वास्तव में होते है या नहीं ये अलग विषय है ...लेकिन जिन योगों के कारण व्यक्ति इनसे ग्रस्त हो सकता है उनमें से एक आपके सामने प्रस्तुत है .पुत्र भाव पर केतु की दृष्टि और मंगल के वास ने इनका एक पुत्र भी इनसे छीन लिया है .इसी प्रकार अन्य योग भी होते हैं जिनके कारण व्यक्ति इस प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त रहता है .
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